एक जंगल है तेरी आंखों में
मैं जहां राह भूल जाता हूं ।
मैं तुझे भूलने की कोशिश में
आज कितने क़रीब पाता हूं ।
तू किसी रेल-सी गुज़रती है,
मैं किसी पुल-सा थरथराता हूं ।
हर तरफ एतराज़ होता है
मैं अगर रोशनी में आता हूं ।
एक बाज़ू उखड़ गया जबसे
और ज़्यादा वज़न उठाता हूं ।
एक जंगल है तेरी आंखों में ।
मैं जहां राह भूल जाता हूं ।।
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